Saturday, January 31, 2009

आज की बात

वो पीछे लौटें जिनको आगे डर लगता है
मुझको यह भावी खुशियों का अवसर लगता है

Sunday, January 11, 2009

आज पहले से ज्यादा खूबसूरत लग रही है
कपडा किसी महल से मिली भीख का पहना होगा

Friday, January 9, 2009

शेर कैसा लगा टिप्पणी लिखें


आओ कुछ साथ रहें रात के वीराने में
देर कितनी लगाती है गर्दिशों के छाने में

Sunday, January 4, 2009

dusara din

भूख थी रोटी के सपने आँख में उतर आए
तो हाथ मेरे ख़ुद ब ख़ुद पत्थर लिए नजर आए